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SURYA ..... ek adbhut grah ....

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                                        सूर्यदेव !!! आखिर कौन ही होगा हम सब में से जो सूर्यदेव को नहीं जानता होगा ? रोज की शुरुआत ही सूर्यदेव की दिव्य रौशनी से होती है , लेकिन फिर भी सूर्यदेव और सूर्य लोक से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो हम सब नहीं जानते हैं या शायद जानने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं । तो चलिए आज साथ मिलकर सूर्यदेव और उनके गृह की कुछ रोचक बातें जानने का प्रयास करते हैं।                                       सूर्य गृह के स्वामी ऋषि कश्यप और माता अदिति के पुत्र सूर्यदेव हैं। सूर्य गृह सभी ग्रहों के स्वामी है और प्रथम गृह है। सूर्यदेव का नाम रवि होने के कारन वे रविवार के स्वामी हैं। वेदों में वर्णन मिलता है के सूर्य जगत अथवा संसार की आत्मा हैं। वेदों की ऋचाओं में अनेक स्थानों पर सूर्यदेव की स्तुति मिलती है। प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों ने सूर्यदेव को प्रसन्न करने हेतु कई कठोर यज्ञ...

ताड़पत्र

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                                                                  " ताड़पत्र" क्या आप जानते हैं के ताड़पत्र किसे कहते हैं ? और आखिर क्या है इससे जुड़ी एक प्राचीन ज्योतिष विद्या ? अगर नहीं जानते है तो चलिए इस लेख में इसे जानने का प्रयास करते हैं।                                          ताड़पत्र यानी 'ताड़ के पेड़' के 'पत्ते' होते हैं।  प्राचीन समय में इनका इस्तेमाल लेखन का काम करने के लिए होता था। यह पत्ते काफी लम्बे वक्त तक सुरक्षित रह सकते हैं, इसलिए शायद ऋषि - मुनियों द्वारा इनपर लेखन का काम किया जाता था कुछ खास चीजों को लिपिबद्ध करने के लिए। एक ज्योतिष विद्या ऐसी भी मौजूद है जो सैकड़ों वर्ष पहले लिखी गई पर आज भी मौजूद है और सटीक भविष्यवाणी बताती है जो की "नाड़ी ज्योतिष विद्या" है। इस विद्या में ताड़पत्रों का बड़ा...

GAGRON KILA - उत्तर भारत में गागरोन एकलौता जलदुर्ग !!!

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                                            'राजस्थान' , अपने राजपुताना इतिहास और विशाल किलों के लिए प्रसिद्ध है। पर क्या आप जानते हैं यहाँ कुछ ऐसे ख़ास किले आज भी मौजूद हैं जिनकी ओर आज कोई मूड कर भी देखता है तो उसे ताज्जुब होता है। आज का राजस्थान पहले के कई संपन्न राज्यों का समूह है। आज हम ऐसे ही प्रसिद्ध स्थान 'हड़ौती' के 'गागरोन किले' के लुप्त इतिहास को जानने की कोशिश करेंगे।                        गागरोन किले का निर्माण 'डोड महाराज बीजलदेव' ने '12 वी सदी' में करवाया था। यहाँ 300 सालों तक 'खींची राजाओं' का राज्य था। गागरोन किला '14 युद्ध और 2 जौहर' का साक्ष्या बना। उत्तर भारत में गागरोन एकलौता ऐसा किला है जो 'जर्लदुर्ग' है। इस किले के 3 परकोटे हैं आमतौर पर किलों के 2 ही परकोटे होते हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है के इस किले की नीव ही नहीं है। किले की बुर्ज पहाड़ियों से मिली हुई है। किले के तीनों ओर गहरा पानी बहत...

AJINKYA - MURUD JANJIRA !!!

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                       " सागर ! विशाल अरब सागर" !! विशाल गहरे सागर के बीचों - बीच बना एक 'किला' !!! इस किले को ना कभी कोई जीत पाया , ना ही कभी उसको नुकसान पहुँचा पाया !!! अब गज़ब तो यह है के अरब सागर के बीचमें किला कैसे बना ? किसने बनाया ? और क्यों बनाया ???                        'महाराष्ट्र' के 'कोंकण' क्षेत्र में 'मुरुद गांव' बसता है उसी गांव के तट के पास सागर में यह "जंजीरा" किला मौजूद है। जंजीरा तक़रीबन 350 साल पुराना किला है। जंजीरा 'अरबी' शब्द 'जजीरा' का अपभ्रंश है , जिसका मतलब है 'टापू'। यह किला दरहसल एक टापू पर ही बनाया गया है, पर गौर से देखने से भी यह मालूम नहीं हो पाता के किला टापू पर है। विशाल जंजीरा ऐसा लगता है जैसे सागर की गोद से ही निकला हो।                     भारत की भूमि पर कई राजा - महाराजाओं , मुग़लों और अंग्रेजों ने राज्य किया था। शायद ही कोई ऐसा किला रहा होगा जिसे यह राज्यकर्ता जित...

SHIVBHAKT - NAGA SADHU ..

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                    "नागा साधु" ! नाम सुनकर ही चौक गए ना ? यह नाम सुनकर कुछ लोगों के रोंगटे खड़े होतें हैं , तो कुछ लोग आशचर्य करते हैं , वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग जिज्ञासु होते हैं इनके बारेमें जानने और समझने को। आप इनमे से कौन हैं ? जो भी हो अगर नागाओं के बारेमें जानने में दिलचस्पी रखते हैं तो यह लेख आपको अच्छी खासी जानकारी दे सकता है।                   "शिव" जिनकी आराधना कई लोग करते हैं। कई लोग खुदको इनका महान भक्त बतातें हैं। पर गौर करने की बात तो यह है के केवल बोलने से कोई महान भक्त नहीं होता , महान शिवभक्त बनने के लिए कठोर जप - तप करना होता है , वैराग्य अपनाना होता है। भक्त तो कई प्रकार के होते हैं , पर हम बात कर रहें हैं उन ख़ास साधु भक्तों की जो बस शिव भक्ति में ही लीन रहतें हैं। हम नागा साधुओं को समझने का , इनके इतिहास को जानने का प्रयास कर रहें हैं। 'कौन हैं यह नागा साधु' ? 'कहाँ से आये हैं' ? 'कहाँ रहते हैं' ? 'क्या करते हैं' ? 'क्यों बनते हैं यह नागा साधु' ?     ...

SAMVED

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                      "वेदों  में वेद सामवेद"। "साम मतलब गान"। सामवेद एक ऐसा "हिन्दू धर्म" का ख़ास वेद है जिसमे लिखे मंत्रो को गाया जाता है। इस वेद के ज्ञान को गाकर सुनाया जाता है इसलिए यह सामवेद है।                       सामवेद में कुल "1875 ऋचायें हैं" ,जिनमे 75 से अतिरित्क शेष "ऋग्वेद" से ली गई हैं। इन मन्त्रों का गान "सोमयज्ञ" के समय किया जाता है। सामवेद में कुछ मन्त्र "अथर्ववेद और यजुर्वेद" के भी सम्मिलित हैं। सामवेद बाकि वेदों की तुलना में आकर की दॄष्टि से सबसे छोटा है पर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। सामवेद की महत्ता इसलिए भी ज्यादा मानी जाती है क्यूंकि स्वयं "श्री कृष्ण" ने "श्रीमद भगवतगीता" में कहा है - "वेदानां सामवेदोअस्मि" यानी "श्री कृष्ण वेदो में सामवेद हैं"।                      वैसे तो जबसे संसार है तबसे ही वेद भी मौजूद हैं , पर "वेद व्यास जी" ने वेदो को लिपिबद्ध किया था और अपने ख़ास शिष्यों को...

MANIMAHESH - CHAMBA KAILASH!!!

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                                  हिमाचल की पहाड़ियों के बारेमें हर कोई जनता है पर बेहद ही कम लोग जानते हैं हिमाचल की चोटियों के पीछे छिपे इतिहास और उनसे जुड़ी कहानियों को। यहाँ हम ऐसे ही एक दिव्य चोटी "मणिमहेश" के बारेमे जानने और समझने का प्रयास करेंगे।                                    हिमचाल के 'चम्बा जिले' में स्थित एक मणिमहेश नामक दिव्य पहाड़ी हैं जिसपर स्वयं "महादेव और माँ गौरी" का निवास है ऐसा माना जाता है। मणिमहेश की ऊँचाई '5653 मीटर' मानी जाती है पर आज तक कोई भी शिखर तक नहीं पहुँचा है इसलिए सही ऊँचाई बताना मुमकिन नहीं।                                   मणिमहेश की यात्रा 'भरमौर गाँव' से शुरू होती है जो की 26km की मानी जाती है। यात्रा में कुछ दूर ही गाड़ी से सफर किया जा सकता है आगे का रास्ता प...