ताड़पत्र

                           


                                      "ताड़पत्र" क्या आप जानते हैं के ताड़पत्र किसे कहते हैं ? और आखिर क्या है इससे जुड़ी एक प्राचीन ज्योतिष विद्या ? अगर नहीं जानते है तो चलिए इस लेख में इसे जानने का प्रयास करते हैं।  


                                       ताड़पत्र यानी 'ताड़ के पेड़' के 'पत्ते' होते हैं।  प्राचीन समय में इनका इस्तेमाल लेखन का काम करने के लिए होता था। यह पत्ते काफी लम्बे वक्त तक सुरक्षित रह सकते हैं, इसलिए शायद ऋषि - मुनियों द्वारा इनपर लेखन का काम किया जाता था कुछ खास चीजों को लिपिबद्ध करने के लिए। एक ज्योतिष विद्या ऐसी भी मौजूद है जो सैकड़ों वर्ष पहले लिखी गई पर आज भी मौजूद है और सटीक भविष्यवाणी बताती है जो की "नाड़ी ज्योतिष विद्या" है। इस विद्या में ताड़पत्रों का बड़ा महत्व है , क्यूंकि इस विद्या का इस्तेमाल करके जितनी  भविष्यवाणी करि गई थी वे सभी ताड़पत्रों पर ही लिखी गई थीं। 

                                       'नाड़ी ज्योतिष विद्या' को "नंदी नाड़ी विद्या" भी कहते हैं। इसका कारन एक प्राचीन दौर में मिलता है के जब पार्वती जी और शंकर जी आपस में बातचीत कर रहे थे तब पार्वती जी के जिद्द करने पर शंकर जी नंदी के सामने ही पार्वती जी को सभी मानवों का जीवन पृथ्वी ख़त्म होने तक कैसा होगा यह बताने लगे। शंकर जी के गण नंदी ने सभी बातों को सुनकर ज्ञानी ऋषि - मुनियों को बता दिया था। ऋषि - मुनियों ने भी मानव समाज के कल्याण हेतु उन सभी बातों को लिपिबद्ध करलिया और नंदी नाड़ी ज्योतिष विद्या को जन्म दिया था। अपने अभ्यास से भविष्य में जन्म लेने वाले सभी मनुष्यों के जीवन की भविष्यवाणी की और ताड़पत्रों पर लेखन करदिया। 


                                      एक मान्यता अनुसार विश्व प्रख्यात "नालंदा विश्वविद्यालय" में भी कुछ ताड़पत्र संभाल कर रखे गए थे। परन्तु जब उसमे बाहरी आक्रमणकारियों ने हमला किया और पुरे विश्वविद्यालय को आग में झोक दिया तब कुछ ताड़पत्र जल कर राख होगये थे। बादमे पता चला के कुछ ताड़पत्र चीन , तिब्बत और नेपाल के छात्र अपने साथ चुराकर लेगये , आज भी वह ताड़पत्र उनके पास सुरक्षित रखे हैं। यही कारण है के आज हर किसी मनुष्य का ताड़पत्र मौजूद नहीं है। परन्तु यदि हम नाड़ी शास्त्र ( ज्योतिषी ) के पास जाकर अपने अंगूठे का छाप देते हैं तो वह ढूंढ़कर बताते हैं के आज भी सैकड़ो वर्ष पुराने हमारे ताड़पत्र मौजूद है या नहीं। 


                                        इस प्राचीन ज्योतिष विद्या को कुछ लोग अन्धविश्वास का नाम दे देते हैं जबकि यह विद्या इतनी सरल नहीं है। इसे समझने के लिए और उन ताड़पत्रों को पढ़ने के लिए बहुत ज्ञान होना जरुरी है क्योंकि यह प्राचीन विद्या है। सूखे ताड़पत्रों पर अक्षरों को हाथों से कुरेदा जाता था , फिर दिए की कालिमा को ताड़पत्रों पर लगाया जाता था ताकि अक्षर साफ़ दिख सके। बिना अक्षरों में अंतर दिए और बिना रुके संस्कृत भाषा में लेखन का काम किया जाता था। बादमे तेल लगाकर सभी ताड़पत्रों को लकड़ी के छाल लगाकर धागे से बांधकर संभाल कर रखा जाता था। आज दक्षिण भारत में ताड़पत्र की विद्या और नाड़ी शास्त्र को बहुत सम्मान दिया जाता है। लोग आज भी अपना भविष्य को जानने के लिए नाड़ी ज्योतिष के पास जाते है और ताड़पत्रों की मदत से भविष्य जानने का प्रयास करते हैं। 


                                      कितनी गजब की बात है के ऐसा भी कोई लेखन मौजूद है जिसमे हर मनुष्य के जीवन - मृत्यु , भूतकाल , वर्तमानकाल , और भविष्यकाल इस्त्यादी चीजों की जानकारी मौजूद है। यकीन करना ना करना हमारी मर्ज़ी है पर इतिहास को सम्मान देना और लुप्त होनेसे बचाना हमारा फ़र्ज़ है। 


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आपका धन्यवाद। 

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