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RUKMINI - Vidarbha Rajkumari

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                  द्वापर युग में 'विदर्भ' के "भोजवंशी राजा भीष्मक" थे जिनकी राजधानी 'कुंडिनपुर नगरी' थी। राजा  भीष्मक अपने अस्त्रकौशल के बल पर बैशिक देशो पर आधिपत्य करने में समर्थ थे। राजा भीष्मक "मगधराज जरासंघ" के ख़ास मित्र थे। राजा भीष्मक के ५ पुत्र- "रुक्मी, रुक्मरथ, रुक्मबाहु, रुक्मकेस, रुक्ममाली" थे। और १ पुत्री "राजकुमारी रुक्मिणी" थीं।                  राजकुमारी रुक्मिणी का जन्म 'वैशाख एकादशी' को हुआ था। राजकुमारी के जन्म के बाद से विदर्भ का वैभव कई गुना बढ़ने लगा। प्रजा राजकुमारी को 'लक्ष्मी स्वरुप' मानती थी। कई पौराणिक साहित्यो में उन्हें लक्ष्मी अवतार भी माना गया है। द्वापर युग में "श्री कृष्ण" का भी जन्म हुआ था जिन्हें लोग 'विष्णु का अवतार' मानते थे। कृष्ण ने "द्वारका" नामक नगरी को बहुत कम समय में परिश्रम कर बसाया था। श्री कृष्ण के चर्चे हर तरफ होते थे। ऋषि-मुनि, ज्ञानी जन जहाँ भी जाते उनके गुणगान गाते थे।                  ब...